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Wednesday, September 27, 2017

आदतें

शुरू से मुझे
चुप रहने की
आदत सी थी
पर तुमने
बोल बोल कर
खुद को
मेरी आदत बना ली ,
लफ़्ज़ों को एहसासों  के
धागे में पिरो कर
सुकूँ की चादर
बुन दी ,
हर रोज़ वो जो
खिड़की से
दिखता है न
मेरा एक टुकड़ा चाँद
उसकी चांदनी की चमक
मेरे चेहरे पर सजा दी ,
चुप रहने वाली को
तुमने हंसना बोलना
गुनगुना सीखा दिया ,
पर
मैंने अकसर सुना है की 
आदतें बदलनी
पड़ती हैं !!!!!


रेवा

Tuesday, September 26, 2017

हिदायत




धुप की ऊँगली थामे
भटकते रहे मेरे
खयाल ,
शाम की सर्द
हवाओं में भी
उलझे रहे हर सवाल ,
पर
रात ने हौले से
सितारों को टांक
आसमान की चादर ओढ़ा दी ,
सपनो के नर्म बिस्तर पर
मुझे थपकियां दे
चांदनी ने लोरी सुनाई ,
ज़िन्दगी इसी का नाम है
पगली
सुबह हर हाल मे तेरे आंगन
को रौशन करेगी
ये हिदायत फिर मुझे उस
चाँद ने दी  !!!


रेवा 

Monday, September 18, 2017

एक सोच (facebook )

मैंने अभी कुछ दिनों से फेसबुक से थोड़ी सी दूरी बना ली है ......फेसबुक भी मुझे न्यूज़ चैनल्स की तरह अनर्गल  विलाप करता सा प्रतीत होता है , कभी सरकार की बुराई कभी डेरा सच्चा की, कभी दूसरे बाबाओ की, कभी आतंकवाद की।
सार्थक पहल या बहस हम नहीं करते, जो हो गया उसको जानने के लिए समाचार ,अखबार तो है ही फिर यहाँ भी वही ? हम क्यों नहीं कुछ उपाय सुझाते हैं, या ऐसी कुछ बात जिससे हमारे आने वाले जनरेशन जो की भविष्य हैं हमारे देश के, उनको कुछ तो मिले हमसे।

उदहारण के लिए  हम अपने पर्यावरण पर बात कर सकते हैं  जो आज एक बड़ा विषय है,  जिसकी शुरुआत हम अपने घर से ही कर सकते हैं, बहुत व्यापक रूप की जरुरत नहीं।  मसलन जिनके यहाँ भी RO से पानी शुद्ध होता है उससे जो (waste water ) निकलता है और पानी बर्बाद होता है उसे कैसे काम में लाये , हम सब सब्जी लाने जाते हैं हर अलग सब्जी अलग पैकेट में लेते हैं उस प्लास्टिक पैकेट को कैसे खुद "न " बोले, एक झोले में डलवायें  और दूसरों को भी समझाए। एक घर से शुरू करें सब को बताए, वो एक मोहल्ले में फैलेगा ऐसे ही ये शहर और देश में फैलेगा, कुछ और विषय में ऐसे ही सार्थक क़दमों की बात करें।

जहाँ तक मेरा सवाल है मैंने अपनी तरफ से शुरू की है RO और प्लास्टिक पैकेट को लेकर मेरे आस - पास के लोगों से बातें। ये इसलिए यहाँ mention किया ताकि लोगों को ये न लगे ये बेकार की बक -बक कर रही है ,खुद कुछ करे तो पता चले ।

हममे से हर एक अलग अलग ग्रुप से जुड़ा है सब में ये सार्थक चर्चा हो तो हम कुछ  शुरुआत कर सकते हैं। सरकार ,न्यूज़ चैनल्स और लोगों को दोष देकर कर कुछ हासिल नहीं होने वाला।

ये मेरी सोच है ,मैंने रख दी सबके सामने।

शुक्रिया

रेवा