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Sunday, February 8, 2015

टूटा विश्वाश



आज शब्द और सोच
दोनों ने जवाब दे दिया ,
जब दोस्त ने दोस्ती को
शर्मसार कर दिया……
टूट गया विश्वाश                          
मिट गयी हर आस ,
पर समझ फिर भी नहीं
आता कैसे तोड़ दूँ
वो बंधन वो प्यार ,
न आँसू है आँखों मे
न चैन ओ सुकून है
दिल मे ,
बस एक ही सवाल है
इस मन मे
क्यों हर बार ऐसा होता है
मेरे जीवन मे ?


रेवा





11 comments:

  1. रेवा जी.....भावपूर्ण सुंदर अभिव्यक्ति ।।

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  2. भावपूर्ण .....मगर जटिल प्रश्न

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  3. कुछ सवालों के जवाब कभी नहीं मिलते ..... अगर मिल जाए तो न मिलने से जदा दुख होता हैं।
    http://savanxxx.blogspot.in

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  4. सटीक बात कही है बहुत ही गहरे जज्बात है इस कविता में एक एक पंक्ति सच्चाई उगल रही है ....!!




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