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Friday, October 11, 2013

खोये एहसास




पहली बार ऐसा हुआ
१० दिन तक देखा तो नहीं तुझे
और आवाज़ भी नहीं सुनी ,
घर मे हर तरफ तेरी
मौजूदगी का एहसास
होता तो है ,
पर मौजूद होना
और बस एहसास होने मे
फरक है न ,

"आंखें हैं नम दिल है उदास
जाने क्यों खोये खोये से हैं हर एहसास ,
जीने को तो जी रहें हैं हम पर
मेरी जान नहीं मेरे पास "

रेवा


9 comments:

  1. समझ रही हूँ
    कहना बहुत आसान है
    सहना उतना ही मुश्किल होगा
    धैर्य की ही परीक्षा कर लो

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  2. सुन्दरता से व्यक्त किया आपने ।

    मेरी नई रचना :- मेरी चाहत

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  3. प्रभावित करती भावपूर्ण सुंदर अभिव्यक्ति...!
    नवरात्रि की शुभकामनाएँ ...!

    RECENT POST : अपनी राम कहानी में.

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  4. लम्हा-लम्हा जीना क्या और लम्हा-लम्हा मरना क्या
    साथ तुम्हारा, साथ हमारे अगर रहे तो कहना क्या
    बूंद-बूंद साँसे आती है, बूंद-बूंद एक राह बनी
    घुट-घुट कि बात में हमको, कहना क्या न कहना क्या...........

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  5. विरह भी प्रेम का एक रंग है... प्रेम की परीक्षा कहना ज़्यादा उचित होगा। देखिएगा विरह के बाद प्रेम और भी निखर जायेगा

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  6. भावो का सुन्दर समायोजन......

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